*MBA वालों को 4 आदिवासी महिलाओं ने कर दिया फेल, खुद के दम खड़ी की करोड़ों का टर्नओवर वाली कंपनी*
एक तरफ एमबीए की डिग्री लेकर युवा बाजारों में कई छोटे-मोटे सामान बेचते दिखते हैं। 15 से 20 हजार रुपये में जॉब करने को मजबूर हैं। दूसरी तरह एमबीए की बात छोड़िए। मामूली पढ़ाई भी न करने वालीं चार आदिवासी महिलाओं ने कमाल कर दिया। उन्होंने अपने दिमाग से ऐसा कारोबार खड़ा कर दिया, जिसका टर्नओवर आज करोड़ों में हैं। यकीनन ये महिलाएं दूसरी महिलाओं के लिए आज रोलमॉडल बन चुकीं हैं। लोग इन चार महिलाओं की सफलता देखकर दंग हैं। आदिवासी महिलाओं को रोजगार से जोड़कर उनकी गरीबी दूर करने की पहल करने वालीं इन चार महिलाओं का नाम है जीजा बाई, सांजी बाई, हंसा बाई और बबली।
किस चीज का कर रहीं बिजनेस
ये महिलाएं राजस्थान की रहने वाली हैं। जंगलों में पैदा होने वाला सीताफल इनकी किस्मत संवार रहा है। दरअसल ये चार महिलाएं जंगलों में लकड़ी के लिए जातीं थीं। वहां पहाड़ों पर गरमी में पैदा होने वाला सीताफल पेड़ों पर सूख जाया करता था और फिर पककर जमीन पर गिर पड़ता। इसे शरीफा भी कहते हैं। लकड़ी के साथ महिलाएं सीताफल को भी जंगल से लाने लगीं। फिर उन्होंने इन फलों को सड़क किनारे बेचने का फैसला लिया। फलों को भारी तादात में लोगों ने पसंद किया और इन्हें काफी मुनाफा होने लगा। राजस्थान के भीमाणा-नाणा में ‘घूमर’ नाम से पहले इन महिलाओं ने अपने बिजनेस की नींव डाली।
कभी सड़क किनारे टोकरी में सीताफल बेचने वालीं इन महिलाओं को धंधा काफी मुनाफेवाला लगा। बस फिर क्या था कि चारों ने मिलकर कंपनी की नींव डाल ली। आप अचरज करेंगे कि महिलाओं की कंपनी साल भर में एक करोड़ सलाना टर्नओवर तक पहुंच गई। आपके जहन में सवाल होगा कि आखिर कैसे एक करोड़
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